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बहाना ढूंढ ही लेता हूं सबसे आगे आके कुछ करने का,

बहाना ढूंढ ही लेता हूं 
सबसे आगे आके कुछ करने का,
कितना शौक़ है ना मुझे 
सुर्ख़ियों में रहने का,

मिले हैं जख़्म इस क़दर 
पर जरूरत नहीं है मुझे दिखाने का,
कितनी हिम्मत है ना मुझमें
दर्द है दिल में पर आदत है मुझे मुस्कुराने का,

मौके खुद ढूंढ़ लूंगा
हुनर है मुझमें नज़रों में आने का,
बुलन्दियाँ मुझे खु़द तलाश लेंगी
प्रयास है मेरा चांद तारों को छू लेने का,

चलना अंधेरों में पड़ा है
इंतेज़ार नहीं करना मुझे सवेरा होने का,
करिश्मा हो ना हो, जूनूं तो है
किसी पहाड़ से भी दरिया निकाल पाने का,

थोड़ा बहुत लिख ही लेता हूं
आदत है लिख के अपना दिल बहलाने का,
कितना हुनर है ना मुझमें
अपने लफ्ज़ों से जादू चलाने का... बहाना ढूंढ ही लेता हूं 
सबसे आगे आके कुछ करने का,
कितना शौक़ है ना मुझे 
सुर्ख़ियों में रहने का,

मिले हैं जख़्म इस क़दर 
पर जरूरत नहीं है मुझे दिखाने का,
कितनी हिम्मत है ना मुझमें
बहाना ढूंढ ही लेता हूं 
सबसे आगे आके कुछ करने का,
कितना शौक़ है ना मुझे 
सुर्ख़ियों में रहने का,

मिले हैं जख़्म इस क़दर 
पर जरूरत नहीं है मुझे दिखाने का,
कितनी हिम्मत है ना मुझमें
दर्द है दिल में पर आदत है मुझे मुस्कुराने का,

मौके खुद ढूंढ़ लूंगा
हुनर है मुझमें नज़रों में आने का,
बुलन्दियाँ मुझे खु़द तलाश लेंगी
प्रयास है मेरा चांद तारों को छू लेने का,

चलना अंधेरों में पड़ा है
इंतेज़ार नहीं करना मुझे सवेरा होने का,
करिश्मा हो ना हो, जूनूं तो है
किसी पहाड़ से भी दरिया निकाल पाने का,

थोड़ा बहुत लिख ही लेता हूं
आदत है लिख के अपना दिल बहलाने का,
कितना हुनर है ना मुझमें
अपने लफ्ज़ों से जादू चलाने का... बहाना ढूंढ ही लेता हूं 
सबसे आगे आके कुछ करने का,
कितना शौक़ है ना मुझे 
सुर्ख़ियों में रहने का,

मिले हैं जख़्म इस क़दर 
पर जरूरत नहीं है मुझे दिखाने का,
कितनी हिम्मत है ना मुझमें