हमें उचित अनुचित का बोध नहीं किंचित मगर नहीं रहना चाहते आपसे अपरिचित समय है कि भावों की हर पोटली खोल दें अभी तक रह गए थे.. हृदय में जो संचित निराशा के अंधियारों में क्यों भटकते हो? अवसर हमें दो..मन को करने का ऊष्मित सब अपनों से सीखा औ आपसे ही जाना ये विचार नहीं कोई गूढ़ एवम् सारगर्भित.. विचारों का #क्षीर सागर #महा समर प्रेरणा आप सब 🙏 बाबा जी विशेष रूप से ☺️ आपका नाम नहीं लिख रहे हम...