आधी रात तारे गिनती है चाँद से शिक़वे -शिकायत करती है तकिए की गिलाफ़े भी भीगी रहती है अश्को का काफिला कुछ यूं गुजरता है कुछ सिसकियां ,रात के सन्नाटे में दफन है अरमानों के जलने का धुंआ,कमरों में भरा रहता है दो आंखे ,अंधेरे में कुछ तलाशती है क़त्ल कर भी अपनी ख्वाइशों को ख़ुदको को जिंदा रखती है चाहती है मोहब्बत को जीना फिर से लेकिन अपने नसीब से डरती है इस भरी दुनियां में कोई मेरे जैसी भी है मेरे जैसे तन्हा ,मेरे जैसे उदास मेरी ही तरह , हारी हुई खुदसे मेरी ही तरह ,मेरे ही जैसे, अपना हर दिन गुजारती है #johnson #message