मेरे घर की छत पर एक चिड़िया रहती थी। उसकी आवाज मेरे कानों को चुभती थी। और शायद मैं उससे चिढ़ती थी। अपने कमरे में बंद मैं ना जाने किस रेस में हिस्सा लेने की तैयारी कर रही थी, तब वो आजाद इधर उधर डोलती थी। मैं कई बार उसे भगाने की कोशिश करती, मगर वो कमबख्त, उसे मेरी छत भा गई थी। मैं रोज उसे देखने जाती, ये सोचकर कि शायद आज तो वो जा चुकी होगी, मगर वो कहाँ जाती भला। एक दिन मैं छत पे पहुची तो, मिस चिड़ियाँ ने सीढ़ी की ओट में अपना छोटा सा घर बनाना शुरू कर दिया था। माँ भी बहुत प्यार करने लगी थी उसे, सो रोज उसके घोंसले में उसके लिए खाना रख देती। धीरे धीरे, चिड़ियाँ ने कहीं भी जाना छोड़ दिया। वो सारा सारा दिन अपने घोंसले में ही रहती। शायद उसे मुझ सा होना था। पर मुझे उसके पंख उधार लेने का मन करता। मन करता की कभी तो कोई उड़ान बेवजह भरूँ, आसमान की दूरी नापने के लिए नहीं, दूरी तय करने के लिए। मगर हम इंसानो की ज़िंदगी मे बिना वजह कुछ भी करना कहाँ मुमकिन है इसलिए शायद मुझे चिड़ियाँ होना था। ❤️ मुझे चिड़ियाँ होना था ❤️ #thatpiercingnoise #writetoheal #story #shortstory #freedom #free