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प्रेम की धुन पर थिरकता हृदय स्पंदित होता मन सुबह स

प्रेम की धुन पर थिरकता हृदय
स्पंदित होता मन सुबह सुबह
खिल जाता है
ग़ुलाब के फूल की तरह-
और सुगंधित कर देता है
हर एक क्षण को।

या सूरज मुखी की तरह
घूमता है रोशनी की ओर
जो उसेको भर देती है
प्राणऊर्जा से।

प्रेम सच में धूप के जैसा है।
प्रेमी हरित पौधे जैसे-
झुक जाते हैं उसी ओर
जिस ओर से धूप आती है।  Hola Wallies 😍🤗
प्रेम हर एक दर्द और उदासी का अंत है।
जिसके हृदय में यह हो वही तो संत है।
:
Collab with Wallpaper Zone  and add your lovely words to bring this beautiful wall paper to life ❣️❣️❣️

Topic : #wz_nritya
प्रेम की धुन पर थिरकता हृदय
स्पंदित होता मन सुबह सुबह
खिल जाता है
ग़ुलाब के फूल की तरह-
और सुगंधित कर देता है
हर एक क्षण को।

या सूरज मुखी की तरह
घूमता है रोशनी की ओर
जो उसेको भर देती है
प्राणऊर्जा से।

प्रेम सच में धूप के जैसा है।
प्रेमी हरित पौधे जैसे-
झुक जाते हैं उसी ओर
जिस ओर से धूप आती है।  Hola Wallies 😍🤗
प्रेम हर एक दर्द और उदासी का अंत है।
जिसके हृदय में यह हो वही तो संत है।
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