❤❤❤ चाँद, गुलाब, तितलियों से दूरियाँ बढ़ रही है, असीम आसमां सी तजुर्बे की रंगत चढ़ रही है, प्रेम का दौर अंतिम छोर की और मुड़ गया है अब तो कायनात भी मेरी उम्र पढ़ रही है। रचयिता। कवि आनंद दाधीच ©Anand Dadhich #love #nature #nightpoetry #romanticlines #kaviananddadhich #poetananddadhich #Titliyaan