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आख़िर शायर जो ठहरा मैं तुम तर करो लब मय से, मैं स

आख़िर शायर जो ठहरा मैं

तुम तर करो लब मय से, मैं सूखा ही ठीक हूँ,
बन जाओ तुम सुघर बड़े, मैं रूखा ही ठीक हूँ,
तुम ले जाओ इनाम सारे झूठी तारीफें कर-कर,
मैं चंद सच्ची वाह-वाहियों का भूखा ही ठीक हूँ.!

IG:— @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla आख़िर शायर जो ठहरा मैं..!
.
कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻
लब:— होंठ (Lip)
मय:— शराब (Alcohol)
सुघर:— मिठबोला (Slick)
रूखा:— उदासीन (Moody)
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आख़िर शायर जो ठहरा मैं

तुम तर करो लब मय से, मैं सूखा ही ठीक हूँ,
बन जाओ तुम सुघर बड़े, मैं रूखा ही ठीक हूँ,
तुम ले जाओ इनाम सारे झूठी तारीफें कर-कर,
मैं चंद सच्ची वाह-वाहियों का भूखा ही ठीक हूँ.!

IG:— @my_pen_my_strength

©Saket Ranjan Shukla आख़िर शायर जो ठहरा मैं..!
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कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻
लब:— होंठ (Lip)
मय:— शराब (Alcohol)
सुघर:— मिठबोला (Slick)
रूखा:— उदासीन (Moody)
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