ये भी होना था बचना चाहा बहुत मगर प्रेम बूँदों में भीगना ही था दिल के आगे बेबस होकर दिमाग को घुटने टेकने ही थे समझदार होकर भी लेकिन नासमझी का हिस्सा बनना था जो किस्से-कहानियाँ पढ़े-सुने उनका ही किरदार बनना था बाँध आँखों पर गहरी काली पट्टी प्रेम-नदिया की तरफ बढ़ना था रास्ते के काँटों की चुभन को भी हँसते-हँसते फूलों-सा सहना था बढ़ाते कदम प्रेम-पात्र की ओर अपनों को पीछे छोड़ रोना था बचना चाहा मैंने तुमने बहुत मगर प्रेम-बूँदों में तन-मन भीगना था ये भी होना ही था...! मुनेश शर्मा मेरी✍️🌈 5 कभी कभी दिल बहुत हैरान होता है ज़िन्दगी तेरा रवैय्या देख कर। #होनाथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi