Nojoto: Largest Storytelling Platform

सूरज निकलने से पहले चले होते जो दो चार कदम तंदुरु

सूरज निकलने से पहले चले होते जो दो चार कदम
 तंदुरुस्ती का ना रोना रोते, यूँ न फूलता  हमारा दम।

जब खाया कुछ न देखा इस कदर बेतरतीब खाया,
ठूंस ठूंस कर पेट फुलाया, न किया खुद पर रहम।
सूरज निकलने से पहले चले होते जो दो चार कदम
 तंदुरुस्ती का ना रोना रोते, यूँ न फूलता  हमारा दम।

दोस्त, दोस्ती का वास्ता देकर, मयखाने ले जाते रहे
हम शराबी बन गए, निभाते निभाते दोस्ती की कसम।
सूरज निकलने से पहले चले होते जो दो चार कदम
 तंदुरुस्ती का ना रोना रोते, यूँ न फूलता  हमारा दम।

बड़े बूढ़े कहते है, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, सँभल जा
बुराई से परदा कर ले हर हाल , कर अब कुछ नेक करम
सूरज निकलने से पहले चले होते जो दो चार कदम
 तंदुरुस्ती का ना रोना रोते, यूँ न फूलता  हमारा दम

©Kamlesh Kandpal
  #tandurusti