कवि लिखना नहीं आसान, एक कविता, जहाँ हर कोई गालिब बना है, अपनी जिन्दगी में, भले ही दिल से सारे कव्वाल हैं, उन एहसासों को पन्ने पर लाने में, वक्त लगता है दोस्तों, कभी शब्द घबराते हैं, कभी कवि खुद सहम जाता है, कभी भागती है सोच, कभी थम जाती है, सन्नाटे की तरह। पर वह कवि ही क्या, जो थाम न सके अपनी रफ्तार जो समझ न सके अपनों के जस्बात जो रुक जाए पथरीली पगडण्डी देखकर या अकड़कर बेजुबान शब्दों के वश हो जाए।। #कविताकेलिए #yqdidi