*गर्मियों का मौसम बनना चाहता हूं में*- कविता गर्मियों के मौसम सा बनना चाहता हूं , घर में सब एक साथ बैठे मेरे सामने ,वो कूलर बनना चाहता हूं में। इस धूप में ठन्डे पानी सा बनना चाहता हूं, लोग ढूंडे मुझे ,कम ही मिलना चाहता हूं में। उन गर्म हवाओं सा बनना चाहता हूं, खट्ठी केरी जैसे लोगों को,मीठा आम बनाना चाहता हूं में। इस गरमियों की छुट्टियों सा बनना चाहता हूं, नानी के घर का फिर से मेहमान बनना चाहता हूं में। इस धूप की गरमाहट सा बनना चाहता हूं, हर उस गरीब गन्ने वाले के लिए दुआ सा बनना चाहता हूं में। गरमी का मौसम बनना चाहता हूं, क्यूंकि ठंडक की तलाश में दुश्मनों को भी साथ लाना चाहता हूं में। गरमी का हूं मौसम पर,किसी का दर्द नहीं बनना चाहता हूं, बस कुछ रिश्तों में ठंडक और साथ रहे वो सब , बस इस लिए शायाद खुद को तपाता हूं में। - सुनिल जोशी #summer #गर्मियों_का_मौसम_बनना_चाहता_हूं_में #nojotopoem #poembysunil ☀️🏜️🙏🙏🙏