बा कमाल तेरी नज़रों का जादू आज तक न ऐसा देखा, बिन कहे सारे भाव पढ़ लेती हो बताओ कहाँ से सीखा? सब भाव के तेवर अलग होते हैं कहिं स्नेह कहिं तीखा, बिन श्रृंगार भी खूबसूरत कि सारा मीना बाजार भी फीका, समस्त जज्बात सहृदय बस जाए,क्या भला क्या बुरा तू ही बताये, तू ही ममत्व व वात्सल्यता से परिपूर्ण तू ही जगजननी माँ कहलाये, सभी युगों में तेरी महिमा निराली है, ब्रह्मा,विष्णु सब शीश झुकाये, माँ ही महेश्वरी, माँ ही जीवनदायिनी,माँ को जग में सर्वश्रेष्ठ बतलाये। 👉 ये हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता संख्या - 15. है, आप सब को दिए गए शीर्षक के साथ Collab करना है..! 👉 आप अपनी रचनाओं को आठ पंक्तियों (8) में लिखें..! 👉Collab करने के बाद Comment box में Done जरूर लिखें,और Comment box में अनुचित शब्दों का प्रयोग न करें..! 👉 प्रतियोगिता में भाग लेने की अंतिम समय सीमा कल सुबह 11 बजे तक की है..!