तमाम उलझनें हैं, ठीक है, हैं तो होने दो सुकून के लिए तो बस तेरा साथ पर्याप्त है कभी मां कभी बहन कभी पत्नी कभी बेटी इस धरा पर नारी तो कई रूपों में व्याप्त है #अंतरराष्ट्रीय_महिलादिवस #बुंदेला