मिट्टी ही तो है शरीर फ़िर क्यों गुमान कर रहे हो लिख रही हूँ पीले पन्नों पर कुछ कविताएँ ताकि मेरे बाद कोई उनकी खुशबू को महसूस कर सके बस एक ख़्वाहिश है मौत के बाद "अनाम" होकर भी "अनाम" ना रहने की। मैं ज़िंदा रहूँगी मेरी कविताओं में रहें ना रहें हम महका करेंगे ... #मिट्टीऔऱमोगरा #yqdidi