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भक्तों के दुख दूर करने वाली शक्ति स्वरूपनी मां चंद

भक्तों के दुख दूर करने वाली शक्ति स्वरूपनी मां चंद्रघंटा हैं। हिंदू परंपरा के अनुसार नवरात्रि के तीसरे दिन देवी पार्वती के रूप में माता चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि मां को नवजात की नाद बड़ी प्यारी होती है। माता चंद्रघंटा की पूजा आराधना से भक्तों को संतोष की प्राप्ति होती है, और उनका जीवन भी खुशहाल रहता है।

मां चंद्रघंटा के सिर पर नवजात के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। माता सिंह की सवारी है। दस भूजा धारी माता के दाहिनी चार भुजाओं में कमल पुष्प, जप माला, तीर और धनु है, पांचवा भुजा धारी मुद्रा में रहती है। वहीं शेष भुजाओं में गदा, त्रिशूल, कमान्डोल और तलवारें हैं। पांचवा भुजा वरद मुद्रा में रहता है। कहा जाता है कि माता के इस स्वर्ण के समान चमकीला यह अलौकिक रूप की शुद्ध अंतःकरण से पूजा करने से मां चंद्रघंटा अति प्रसन्न होती हैं, और भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती हैं।

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