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यूँ गुज़रने को, गुज़र जाते हैं दिन मगर, डराते हैं रा

यूँ गुज़रने को, गुज़र जाते हैं दिन मगर, डराते हैं रातों के साये उन्हें,
आँखें गुहार करें नींदों की, एक वहशियत तो मुझ में भी ज़िंदा है कहीं... 
_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ Urdu_Hindi Poetry 
आज का लफ्ज़ है "वहशी"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको मैं अपने प्रोफाइल से testimonial करूंगा!
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।
यूँ गुज़रने को, गुज़र जाते हैं दिन मगर, डराते हैं रातों के साये उन्हें,
आँखें गुहार करें नींदों की, एक वहशियत तो मुझ में भी ज़िंदा है कहीं... 
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Collab करें मेरे साथ Urdu_Hindi Poetry 
आज का लफ्ज़ है "वहशी"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको मैं अपने प्रोफाइल से testimonial करूंगा!
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator