इस क़दर मैं ख़ुद को सज़ा देता हूँ, जख़्मों को ख़ुद का पता देता हूँ। कांटा चुभोकर तोड़ देता हूँ अंदर, फिर धीरे-धीरे उसका मज़ा लेता हूँ। सितम दुनिया के यूँ सहे हैं हंसकर, कि ज़हर भी खा लूँ तो पचा लेता हूँ। महसूस ना हों मुझे तन्हाईयाँ मुझमें, घर को कई शीशों से सज़ा लेता हूँ। मारती है जिंदगी मुझे बेरहमों की तरह, अफ़सोस है मैं ख़ुद को बचा लेता हूँ। सुना है जब से नज़दीकियों का खतरा, आहटों को भी अब कम रज़ा देता हूँ। #dearsdare #saza #tanahai #jindagi #kante #yqdidi #yqbaba