यह चक्र है समय का रोके नहीं रुकेगा जो योग्य होगा केवल मोती वही चुगेगा कल अर्घ्य फिर चढ़ेगा यह तो क्षणिक ग्रहण है जुगनू ये भ्रम न पालें सूरज नहीं उगेगा Written by #Shushobhit #Dhauladhar_range #Shushobhit_Poetry