हनुमान जी ने कहा कि मैं हाथ जोड कर तुम से विनती करता हूँ कि तुम घमंड छोड कर मेरी सीख को (ध्यान से) सुनो। हनुमानजी रावण से हाथ जोड कर विनती क्यों करते हैं? क्या हनुमान जी में बल नहीं है? क्या हनुमानजी रावण से कमजोर हैं? नहीं, ऐसी बात नहीं है। विनती दोनों करते हैं, जो भय से भरा हो वो और जो भाव से भरा हो वो भी। रावण ने घम॔ड से कहा:कर जोरे सुर दिसिप विनीता । भृकुटी विलोकत सकल सभीता ॥ (तुम क्या हो? यह देखो मेरे दरबार में कितने) देवता और दिग्पाल विनीत भाव से हाथ जोड़े (मेरे सामने) खड़े हैं और वे सब लोग डरते हुए मेरी भृकुटी की ओर देख रहे हैं। परन्तु हनुमान जी भय से हाथ जोड़कर नहीं खड़े हैं। रावण ने कहा भी -- कीधौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही देखउँ अति असंक सठ तोही ॥ क्या तुमने मेरे बारे में नही सुना है? मैं देख रहा हूँ कि तुम बहुत दुष्ट और निडर हो। #NojotoQuote हनुमान जी जब पहली बार लंका में गए तो दरबार में जा कर रावण को सीख दे रहे हैं