*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“20/5/2021”*📚 🌫️🌧️ *“गुरुवार”*🌫️🌧️ “आकांक्षा”...“महत्वकांक्षा” कब बन जाती है पता ही नहीं चलता है, अब इसका “परिणाम” क्या हो सकता है ये भी हमें “पता” नहीं होता है... चलिए समझते है... एक “रचनाकार” स्वयं अपनी “प्रतिभा” का “अंत” कर देता है, कई सारे “कार्य” और “जिम्मेदारियां” अपने “सिर” पर लेने के पश्चात, एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात स्मरण रखिएगा देखिए आज आप जो भी है,जिस भी जगह है,इसके पीछे बहुत बड़ा “योगदान” आपकी “महत्वाकांक्षाओं” का है,और याद रखिए आपको “सीखना” होगा कि “कब” और “कैसे” इन “महत्वाकांक्षाओं” पर “पूर्णविराम” लगाना है,क्योंकि ये “अत्यंत आवश्यक” है, *🖋️*अतुल शर्मा*📝 *✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“20/5/2021”*📚 🌫️🌧️ *“गुरुवार”*🌫️🌧️ #“आकांक्षा” #“महत्वकांक्षा”