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तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!! सब लग

तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो.....
अबके आना तो यहीं रहना, 
ये आना-जाना
निर्मम थोड़ा सा है.....

क्योंकि हम लिख लेते हैं, 
पर, सब व्यथा-कथा है तुम्हारे मन की ही ना!! तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो.....
अबके आना तो यहीं रहना,
तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो.....
अबके आना तो यहीं रहना, 
ये आना-जाना
निर्मम थोड़ा सा है.....

क्योंकि हम लिख लेते हैं, 
पर, सब व्यथा-कथा है तुम्हारे मन की ही ना!! तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो.....
अबके आना तो यहीं रहना,
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