तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!! सब लगे मखमली, मुलायम मनभावन, तुम जब आते हो..... मरुस्थलीय मन लगे, कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो..... अबके आना तो यहीं रहना, ये आना-जाना निर्मम थोड़ा सा है..... क्योंकि हम लिख लेते हैं, पर, सब व्यथा-कथा है तुम्हारे मन की ही ना!! तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!! सब लगे मखमली, मुलायम मनभावन, तुम जब आते हो..... मरुस्थलीय मन लगे, कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो..... अबके आना तो यहीं रहना,