समझया तुझे कितना फिर भी, किया तुने बस अपने मन की गलियों में जा के क्यो बैठा है इश्क़ की… कुछ नही अब मेरे बस में , कुछ नही यंहा तेरे बस में… बदमाशियां है ये किसकी इश्क़ की ,बे पता लापता हो चला … ऐ दिल बता जाने क्यों इस मरतबा तूने मुझे ये क्या कह दिया…@ इश्क़ का हलफनामा #इश्क़_शहर_और_तुम