हवा के मुआफिक - इधर उधर जाने को हैं तेरि जुल्फों के इरादे - बिखर जाने को हैं उजड़े उजड़े से थे- जो नजा़रे दिल के तेरे आते ही सब के सब- संवर जाने को हैं हर हाल मे डूबना तय है वहां लोग फिर भी दरिया-ए-इश्क मे उतर जाने को हैं दिल से दिल, नज़रों से नज़रें मिल गयीं मगर जलवे हुस्न के सब मुकर जाने को हैं बिना चिठ्ठी ये मोहब्बतें चल कैसे रहीं सोंच सोचकर कबूतर यहां- मर जाने को हैं