पुराने थे फतेहपुर गलियारे के अपने शहर का नया बना दिया शिक्षा ने शुद्ध हवाये, गिरे मकां, मोधू मिठाई न ट्रैफिक जाम, हल्की गर्द, कूड़ा आरटीआई में बस अपने जूनिअर्स अधूरेपन बिन साइकल पाँव किस्से मिलना दोस्त दोस्त नही बचे सब अफसर से हो गए बैठे बैठे अपने शहर के पराये से हो गए पुराने थे फतेहपुर गलियारे के अपने शहर का नया बना दिया शिक्षा ने शुद्ध हवाये, गिरे मकां, मोधू मिठाई न ट्रैफिक जाम, हल्की गर्द, कूड़ा आरटीआई में बस अपने जूनिअर्स अधूरेपन बिन साइकल पाँव किस्से मिलना दोस्त दोस्त नही बचे