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मैं कहां तक अपने ग़म का ग़म करूं ज़िंदगी कब तक तेर

मैं कहां तक अपने ग़म का ग़म करूं
ज़िंदगी कब तक तेरा मातम करूं

आरज़ूओ की तपिश बढ़ने लगी
आंच इन शोलों की अब मध्यम करूं
 
ज़िन्दगी का रुख़ बदलना है मुझे
ज़िक्र बीती ज़िंदगी का कम करूं

जब नही "मुस्कान"उसे मेरा ख़्याल 
मैं ही उसको याद क्यूं हरदम करूं
musksn sharma

©मुस्कान शर्मा #Flower mera faisla
मैं कहां तक अपने ग़म का ग़म करूं
ज़िंदगी कब तक तेरा मातम करूं

आरज़ूओ की तपिश बढ़ने लगी
आंच इन शोलों की अब मध्यम करूं
 
ज़िन्दगी का रुख़ बदलना है मुझे
ज़िक्र बीती ज़िंदगी का कम करूं

जब नही "मुस्कान"उसे मेरा ख़्याल 
मैं ही उसको याद क्यूं हरदम करूं
musksn sharma

©मुस्कान शर्मा #Flower mera faisla
nojotouser7968446766

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