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अखंड अनंत प्रदीप्ति ज्वाला, उर में बसी है मातु कृ

अखंड अनंत प्रदीप्ति ज्वाला, 
उर में बसी है मातु कृपाला|
मूरत ऐसी सजायी है माते, 
लाल भवन लागे बड़ा निराला||  #navrate
अखंड अनंत प्रदीप्ति ज्वाला, 
उर में बसी है मातु कृपाला|
मूरत ऐसी सजायी है माते, 
लाल भवन लागे बड़ा निराला||  #navrate