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अधूरी सी हूँ.. लेकिन इस दुआ में तू मुकम्मल स है है

अधूरी सी हूँ..
लेकिन इस दुआ में तू मुकम्मल स है
है बहुत ही दर्द रात...
लेकिन तू इस रात की सुबह स है
कई बंजारे फिरते है इसमें...
लेकिन तू इस बंजारे का घर स है
मुक्कमल कर दे जो इस ज़िन्दगी को...
मेरे लिए तू वो खुदा स है
अधूरी सी हूँ...
लेकिन इस दुआ में तू मुक्कमल स है...
मुकम्मल स है। #अधूरी #सी #हूँ।
अधूरी सी हूँ..
लेकिन इस दुआ में तू मुकम्मल स है
है बहुत ही दर्द रात...
लेकिन तू इस रात की सुबह स है
कई बंजारे फिरते है इसमें...
लेकिन तू इस बंजारे का घर स है
मुक्कमल कर दे जो इस ज़िन्दगी को...
मेरे लिए तू वो खुदा स है
अधूरी सी हूँ...
लेकिन इस दुआ में तू मुक्कमल स है...
मुकम्मल स है। #अधूरी #सी #हूँ।