अधूरी सी हूँ.. लेकिन इस दुआ में तू मुकम्मल स है है बहुत ही दर्द रात... लेकिन तू इस रात की सुबह स है कई बंजारे फिरते है इसमें... लेकिन तू इस बंजारे का घर स है मुक्कमल कर दे जो इस ज़िन्दगी को... मेरे लिए तू वो खुदा स है अधूरी सी हूँ... लेकिन इस दुआ में तू मुक्कमल स है... मुकम्मल स है। #अधूरी #सी #हूँ।