एक पिजरे में कैद रे पंक्षी उड़ने की वो राह तके बाहर चउ ओर चाँदनी भीतर उसे अँधियार दिखे। सब बोले मृदु भाषा पिंजरे से वो इश्क़ करें दूसरा तनिक अधिक पसंद जब पिंजरे को भेदत एक मरे । कब बादल को चीरे वो कब वो ऊँची उड़ान भरे खुला गगन पसंद उसे पिंजरा उन्हें आलीशान लगे। करत रहे प्रयत्न निरंतर चेहरे पर मुस्कान लिए नाम का अर्थ चाहे कुछ भी कर्म अपने वो सिद्ध करे सब की भाषा जानत वो सब से वो प्रेम करे सब के मन का आदर रख पिंजरा तोड़ वो दूर उड़े। पिंजरा #पिंजरा