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रोज़ ऑफिस जाते वक्त वो मिल जाती थी रास्ते पर.......

रोज़ ऑफिस जाते वक्त
वो मिल जाती थी
रास्ते पर.......
हाथो में खिलोने कभी पेन
कभी गजरे लिए हुए
पर आज कल दिखती नहीं
शायद अच्छे लोगो की तरह
उसे भी जल्दी थी ऊपर जाने की
या फिर नही ढो पाई वो 
अपनी ज़िम्मेदारी मेरी तरह
हाँ वो मेरी माँ नही थी
पर में उसमे किसी की मां
बस्ती तो थी ......
हाँ शायद वो चली गई
उस दुनिया में
शायद.......

 

 #ekadat
रोज़ ऑफिस जाते वक्त
वो मिल जाती थी
रास्ते पर.......
हाथो में खिलोने कभी पेन
कभी गजरे लिए हुए
पर आज कल दिखती नहीं
शायद अच्छे लोगो की तरह
उसे भी जल्दी थी ऊपर जाने की
या फिर नही ढो पाई वो 
अपनी ज़िम्मेदारी मेरी तरह
हाँ वो मेरी माँ नही थी
पर में उसमे किसी की मां
बस्ती तो थी ......
हाँ शायद वो चली गई
उस दुनिया में
शायद.......

 

 #ekadat