पलट कर देख लिया आज मैंने डायरी के हर अगले पन्ने को भी वहां वैसा कुछ भी नजर नही आया मुझको, कि जिसे मै तुमको नजर कर पाऊं पढ़ पाऊं ऐसा मतला कोई कि जिसको गजल बना कर चलते फिरते रास्तों पर मुस्कुराते मुस्कराते यूँहीं गुनगुना पाऊँ । कितनी ही मरतबा एक एक पन्ने को उलट पलट कर देखा था मैने ,कोई सफहा ऐसा न मिला मुझको कि जिसको तुम्हारी शख्सियत से मै नजीर कर पाऊँ , मानो अब उस डायरी के पन्नों से एक नाराजगी सी है मुझको वो ख्वाहिश जो दिल मे थी मेरे कि तुम्हें कुछ समझ पाता कुछ जान पाता ,मानो एक दम अनजबी सा बना दिया तुम्हारे लिए मुझको। कितनी ही दफा कोशिश की मैंने कि उसकी खामोशी को दूर कर उससे तुम्हारे खातिर मै कुछ अल्फाज चुरा लाऊँ कि जिन्हें मै तुम्हारी तारीफ मे आजमा पाता, यूं खामोश रह कर वो एक आजमाइश से भी मरहूम सा कर दिया मुझको , डायरी के पन्नों के बीचोंबीच का वो मुकाम कि जहाँ पर धागों की वो कच्ची सिलाई जो उस डायरी के पन्नों को जोड़ कर रखा करती है हर पहर सोचा कि कुछ तालीम उन धागों से ले पाऊं कि जो हर दम बराबरी से एक राब्ता बनाकर रखते हैं हर एक पन्ने के दरम्यान , मगर वहां उस मुकाम पर धागों की वो सिलाई को टूटा देखकर कच्चे धागे की फितरत से भी रुबरु करा दिया मुझको । अब एक बात तुम ही बतला दो मुझे कि आखिर कहूँ भी तो क्या कहूँ मै उसको, और करीब से जानने आया था तुम्हें मै उस डायरी के जरिए मगर किसी अजनबी के जैसे डायरी के उन पन्नों ने एक नामुकम्मल दास्तां को सुना दिया मुझको। बस एक गुजारिश है तुमसे कभी वक्त मिले तो डायरी के उन पन्नों मे वहीं कहीं खुद को तुम अपने आप ही लिख जाना कि जिससे मै अपनी खवाहिश मुकम्मल कर पाऊं ,पढ़ पाऊं ऐसा मतला कोई कि जिसको गजल बना कर चलते फिरते रास्तों पर मुस्कराते मुस्कराते यूँही गुनगुना पाऊं ।। 💞 #NojotoQuote