एक सिपाही जब हुआ पैदा तो कुछ एहसास हमारे थे मिट्टी की सेवा करना ये कर्तव्य हमारे थे खेलते थे हम मिट्टी में तो इसे बचाने का कर्तव्य भी हमारा था धीरे धीरे बड़े हुए हम हमे तो अब फोज में जाना था मा बाप भाई बहन को छोड़कर देश को भी तो बचाना था हमारे परिवार के जैसे पूरा देश भी परिवार हमारा था में बताऊं अब एक सिपाही के बारे में की क्या फर्क इनमे ओर हमारा था देश के लिए जीते दिन भर ये ख्वाब हमारा था सुकून से सो सके सब लोग ये ही लक्ष्य हमारा था रात दिन लगे रहते सीमा पर दुश्मन से भी हमे बचाना था परवाह नहीं थी खुद की हमारा देश हमारा था मा बाप ने भी अपना बेटा देश को सौंपा था बेटे को खो देने पर दर्द भी होता था पर उनके चहरे पर एक मुस्कान निराली थी देश के लिए हुए शहीद ये ही बात हमारी थी एक फौजी की जिंदगी होती है बस देश के लिए दिख जाए कहीं आपको तो नकार ना देना कभी वो करते है सुरक्षा तभी तो हम सुरक्षित रह पाते है आज अगर ना हो वो बॉर्डर पर तो हम भी गुलाम बन जाते है सिपाही होना आसान नहीं है परिवार से दूर रहना हर किसी के बस की बात नहीं है कड़कती ठंड में बॉर्डर पर रहना ये आसान नहीं है किसी भी फौजी को सम्मान देना ये शर्म की बात नहीं है सब करे सम्मान उनका क्युकी इस सम्मान के हकदार वहीं है। Written by rajeshwari balotiya Class 10th ©JAMNa lal Balotiya sipahi poem #Thoughts desh bhakti