गरीबी के दिन उस पर वो महंगे ख़्वाब हाय क्या कुछ नहीं कराते हैं जिन राहों पर नहीं जानें की सोचते हैं उन राहों पर भी ले जाते हैं सही गलत का फर्क पता होता है फिर भी कहीं कहीं गलत कर जाते हैं वसूल सारे अपने धरे के धरे रह जाते हैं कहीं बोलना जरूरी सा होता है मगर हालतों को देख खामोश रह जाते हैं कभी कभी मंजिल मिल भी जाती है मगर पाने से पहले इतना कुछ खो देते हैं की फिर कभी खुश नहीं रह पाते हैं ©Nikhil Kumar #poorness #Life_experience #poor #Childhood #Dreams #SAD #Truth_of_Life