धर्माऽऽख्याने श्मशाने च रोगिणां या मतिर्भवेत् । सा सर्वदैव तिष्ठेच्चेत् को न मुच्येत बन्धनात् ।। धार्मिक कथा सुनने पर,श्मशाम भूमि में,और रोगी होने पर मनुष्य के मन में जिस प्रकार का वैराग्यभाव उत्पन्न होता है,यदि वह भाव सदैव रहे तो कौन ऐसा मनुष्य है जो संसार के बंधनों से मुक्त नहीं हो सकता । परन्तु हरि की माया ऐसी बलवती है कि थोड़ी ही देर में मनुष्य विरागी से अनुरागी हो जाता है। जय श्री राम🙏 ©Raman Pratap Singh spiritual..