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"क़लम रथ" पथ पथ लथपथ लिए क़लम रथ बढ़ता चल,

"क़लम रथ"

पथ पथ लथपथ लिए क़लम रथ बढ़ता चल,
लेखों से अपने तू इतिहास गढ़ता चल..!

छटेगा अँधेरा होगा सवेरा,
तू ख़ुद को ही पढ़ता चल..!

आएंगे रोकने तुझे तेरे अपने ही क़दम क़दम पर,
तू डर मत किसी से ख़ुद के लिए यूँ लड़ता चल..!

न समझे कायर तुझे ये ज़माना,
शायरी में करारा ज़वाब लिए चढ़ता चल..!

दूर होंगी समस्याएँ सारी की सारी,
क़लम को हथियार बना मिलेगा हर हल..!

उदय हो सदैव सुबह के सूरज की भाँति,
न कभी भी सांझ का सूरज सा ढल..!

फ़ैलाना है प्रकाश जग को रौशन करने खातिर,
सबसे पहले तू ख़ुद दीपक सा जल..!

©SHIVA KANT(Shayar) #Apocalypse #kalamrath