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मोहब्बत-ऐ-इज़हार करना चाहता हूं तुमसे , मगर तुम कभ

मोहब्बत-ऐ-इज़हार करना चाहता हूं तुमसे ,
मगर तुम कभी मेरे पास नहीं होती।

जिंदगी भर  रहना था साथ तुम्हारे,
मगर तुम्हारे अल्फाजों में अब मेरी बात नहीं होती।

कभी ज़र्रे- ज़र्रे मे था तुम्हारे मैं ,
मगर अब तुम्हारी आंखों में मेरी तलाश नहीं होती।

तुम्हारे बिना खत्म हो जायेगी मेरी जिंदगी , 
मगर मिलूंगा उस पार, हर हसरत पूरी इस पार नहीं होती।
                                                   ------------आनन्द

©आनन्द कुमार 
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