"जीवन एक प्रेमनगरिया हैं दो ज़ान जिसकी डगरिया हैं व्यापार होता है दिलों का और प्रेम अंधत्व में बिक जाता हैं मोल दो ज़ान का उचित हैं तो ठीक हैं वरन प्रेम तो अंधा होता हैं" "जीवन एक प्रेमनगरिया हैं दो ज़ान जिसकी डगरिया हैं व्यापार होता है दिलों का और प्रेम अंधत्व में बिक जाता हैं मोल दो ज़ान का उचित हैं तो ठीक हैं वरन प्रेम तो अंधा होता हैं" #©Reserved by #KISHAN KORRAM