मेरे जाने का जब भी कभी खयाल आए, सोचना फिर न कभी ऐसा खयाल आए, कि जाने से मेरे ये तेरी सांसें थम जाएं और फिर तन्हाई में कुछ सवाल सताएं। ज़िंदा रहने को महज़ सांसें काफी नहीं हसरतें न हों तो सांसें जैसे लाश में कहीं। सच है, बिन अंकुश के परिंदा भी परिंदा कहां, है आज़ाद सही! खुद से मिलकर जो खिला था वो धड़कन थी, खुदा दिखा था। फेरा न लिया, पर एक हुआ था, दिल जान का यूं साथ हुआ था। आंखों की नमी, लबों की हंसी, सब तुमसे ही,सब तुमसे थी। बाहों में होऊं,खयालों में हूं तेरी खुशी दिल में हो, सांसों में तेरी। फरियाद, इबादत, दुआ खुदा से ही कर में इश्क हूं तेरा, यूं सदा रहने दे बनकर। ना सुकूं, न सांसें, न मैं हमसफर । मैं हू तेरी, तेरी राह, तेरा हर सफर। मैं कुछ नहीं हूं, न बनना चाहूं मैं खयाल तेरा, बस तू मेरी रूह। मैं रहूं न रहूं मैं रहूं न रहूं मैं तुझे बसूं मैं तुझमें रहूं।। ©Liberal Confinement #parrizzad#ansh#liberal_condinement #HappyDaughtersDay2020