सोचता हूँ अक्सर कि मैंने ये गुनाह कर दिया कुछ घर की बात थी यूँ ही सरे राह कर दिया इठलाते हुए चेहरे थे कई मन में गुमां लिये हुए झूठ के नक़ाब थे हटाया सबको स्याह कर दिया वो जितना गिरा तहज़ीब में नज़रों में उठ गया हार कर मैंने भी जज़्बातों को लापरवाह कर दिया चंद ख्वाहिशें थी दुनियावी उसने सब रिश्ते भुला दिए एहसान फिर भी रिश्तों पे उसने बेपनाह कर दिया #अभिशप्त_वरदान #झूठ_के_नक़ाब #yqdidi #yourquotebaba #hindipratilipi #hindipublication #shabdanchal