तटस्थ हो खड़ा रहा, वो अपनी ज़िद ही पर अड़ा रहा पाँव में पड़ गए छाले, फिर भी वो अंगारों पर ही चढ़ा रहा होगी राह कठिन कोई शायद इस जहां में कहीं, वो इसी सोच में जवां रहा निडर चलता है हर वक़्त कहीं, बस "हिमांश" ये जान वो आज तक डटा रहा॥ तटस्थ हो वो खड़ा रहा, आख़िर तक अपनी ज़िद पर ही अड़ा रहा... #तटस्थ