किसानः भगवान या हैवान हां , गलती है तुम्हारी तुम फसल क्यों उगाते हो, जब लूट-पाट कर सकते हो, तो कमा के क्यों खाते हो। हां , गलती है तुम्हारी, पेट लोगों का भरना, अंधेरी रातों में जगना, भूखे बच्चों के लिए बेवक्त मरना, ताकि भविष्य में पूरा हो उनका सपना। हां , गलती है तुम्हारी तुम फसल क्यों उगाते हो। अपने बच्चों को एक अच्छा आदमी बनना क्यों सिखाते हो, जहाँ हो वहीँ रहो ना, ये कदम आगे क्यों बढ़ाते हो, खुद मेहनत करके समाज को क्यों खिलाते हो, हां , गलती है तुम्हारी तुम फसल क्यूँ उगाते हो। ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हो तुम, यहीं तो कमी है ना सारी, तो फिर कैसे नहीं होगी गलती तुम्हारी, मत पढ़ो, इसी तरह बनते रहोगे टारगेट सरकारी, तुम मेहनत करते रहोगे, फिर भी गलती रहेगी सिर्फ तुम्हारी मेहनत सिर्फ काफी नहीं है समझो तुम दुनियादारी, फसल क्यूँ उगाते हो, गलती है ना तुम्हारी। #Sobersoulwrites kisaan❣️