दूर न होंगे हम तुमसे, सही ना जायेगी एक पल के लिए जुदाई, आयेंगे नित नित धाम तुम्हारे, नेह रहेगी सदैव दर शीश झुकाई।। लिखूँगी मैं भी प्रेम की नई पर्याय, मागूँगी तुमसे ही तुमको राघव। पार करूँगी मर्यादा की हर सीमा रेखा, मागूँगी तुमसे ही दुहाई।। प्रेम होगा साकार कभी, या फिर होगा इस नेह जीवन का उद्धार। तुम भी यही, सरयू की है धार यही, तुमने तो यही प्रीत सिखाई।। ♥️ Challenge-875 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।