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तुफान मे हो किश्ती , या साहिल पे सही वक्त़ के आगे

तुफान मे हो किश्ती , या साहिल पे सही 
वक्त़ के आगे वो कभी , घबराया न था !!

हम भी होते साहब , बादशाह आज के 
इस  तरह किसी ने समझाया न था !!

रात शबनम से थी,  भीगीं मगर 
चाँद , चाँदनी पे मुस्कराया न था  !!

सुबह तो हो ही गई   , बेसक 
फायदा वक्त़ का हमने ,उठाया न था !!

मोहब्बत तो हमने भी की थी , बेसक 
पर किसी को हमने  , बरगलाया न था !!

आग लग तो जाती  , मेरे भी जिस्म़ में 
वक्त़ रहते जो उसने,  जगाया न था !!

अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #धौर्य
तुफान मे हो किश्ती , या साहिल पे सही 
वक्त़ के आगे वो कभी , घबराया न था !!

हम भी होते साहब , बादशाह आज के 
इस  तरह किसी ने समझाया न था !!

रात शबनम से थी,  भीगीं मगर
तुफान मे हो किश्ती , या साहिल पे सही 
वक्त़ के आगे वो कभी , घबराया न था !!

हम भी होते साहब , बादशाह आज के 
इस  तरह किसी ने समझाया न था !!

रात शबनम से थी,  भीगीं मगर 
चाँद , चाँदनी पे मुस्कराया न था  !!

सुबह तो हो ही गई   , बेसक 
फायदा वक्त़ का हमने ,उठाया न था !!

मोहब्बत तो हमने भी की थी , बेसक 
पर किसी को हमने  , बरगलाया न था !!

आग लग तो जाती  , मेरे भी जिस्म़ में 
वक्त़ रहते जो उसने,  जगाया न था !!

अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #धौर्य
तुफान मे हो किश्ती , या साहिल पे सही 
वक्त़ के आगे वो कभी , घबराया न था !!

हम भी होते साहब , बादशाह आज के 
इस  तरह किसी ने समझाया न था !!

रात शबनम से थी,  भीगीं मगर