गम-इ-हयात दिल में ले के जिदंगी से गुजर गयी हूँ, मुहब्बत मुहब्बत कर के मैं मुहब्बत में मर गयी हूँ. यूँ तो कोई नहीं है मेरा और ना हीं मैं हूँ किसी की, अपने आप में खो कर जमाने में बे-खतर गयी हूँ. मैं अनजानी सी मुसाफिर यहाँ हमसफ़र मेरा साया है, कोई नहीं जानता मुझे मैं मेरा नाम सुनके डर गयी हूँ. धुप में चला नहीं जाता रूकूंगी तो पाव जलेंगे मेरे, विराने से सफर में कांटों के पेड़ की छाव में ठहर गयी हूँ यहाँ इश्क़ के जाल में अक्सर गुम हो जाते हैं लोग आदि, इस जाल से सबको सही रास्ता बता कर घर गयी हूँ. #lifelessons #inspiration #merikalamse #poetrylovers #yqdidi #divyanikidairyse