काली बिखरी जुल्फें तेरी आंखे सूरज चंदा सी आसमान का रंग ओढ़कर तू खड़ी अलख आनंदा सी खिलते फूल तेरे यौवनं के महक गई पूरी खाड़ी सागर वांगर ताक लगाएं सबको लगे चुनिंदा सी ! तेरी बर्फ़ीली सी सीरत दिल में आग लगाती है ब्रेक फैल कर दे धड़कन के तू ऐसे कुछ फिसलाती है ! बैरन मत कर नैंन मटक्का आकर लब चिपकाले ना लिमका कोला माज़ा का रस तू मुझको लगे मिरिंडा सी !