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औरत मै एक औरत हूँ मुझे औरत ही रहने

              
औरत
 मै एक औरत हूँ मुझे औरत ही रहने दो ,
मत बांधो मर्यादा की जंजीरो में ,
मत काटो पंख मेरे ,
इस खुली बयार में थोड़ा सा तो बहनें दो ,
हाँ! मै एक औरत हूँ ,मुझे औरत ही रहने दो ।
मत दो देवी की उपमा ,मत दो लक्ष्मी  की परिभाषा ,
इतनी बड़ी दुनिया में कुछ तो जिन्दा रहने दो ।
हाँ! मै एक औरत हूँ ,मुझे औरत ही रहने दो।
मैं शबनम की बून्द नही जो धूप से जल जाऊं,
मै तो एक दरिया हूँ ,मुझे समन्दर में मिल बहने दो ,
  हाँ ! मै एक औरत हूँ मुझे औरत  ही रहने दो ।।

©poonam atrey
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#औरत_की_दास्तां