#मृत औरत का जवाब-- हे प्रेम याचि तुम बात सुनो.... तीनों लोकों को मैं हीं तो जनती हूँ गलती मेरी बस इतनी है.... इक गरीब पिता की मैं तो बेटी हूँ शायद कारण बस इतना है इसलिए मरी मछली जैसी जल शय्या पर मैं तो लेटी हूँ ।। ना रूप मेरा तो उजला है, ना चन्द्र भाँति मैं लगती हूँ बस इसलिए शायद मैं यातना पति की सहती हूँ कलाई चूड़ी, माथे बिन्दी, सिंदूर मांग लगाई हूँ राजकुमारी थी अब दासी बनकर अपनी जान गँवाई हूँ ।। कहने को तो सुहागन हूँ पर सुहाग से मार खायी हूँ छोड़ पिता के हाथ को अपने पिय के संग मैं आयी हूँ इक चौखट से विदा हुयी थी और इक चौखट से धक्के खायी हूँ राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी (भाग-2) ©Raone एक प्रश्न