गुजारिस यू की कुछ इस नादा दिल ने ............. खामोश रही जुबां से .... शब्दो की है क्यो कुछ खालिश सी .... मांग लो उधार अल्फ़ाज उनसे ... जो नगीना है अल्फ़ाजो से...... अल्फ़ाज ही तो चाहिये तुझको अए जुबां ....... अल्फ़ाज ही तो चाहिये तुझको अए जुबां ......... अर्शे से रह रही क्यो तू खामोशी से.... समझा उनको कुछ इस तरहं .... बात भी हो जए ..लफ्ज भी रह जए खमोसी से... शायद गलतफहमी हुई थी कुछ उनको शायद ....गलतफहमी हुई थी कुछ उनको .... आज तक इन्तज़ार है हमे उनको कुछ समझने को..... इज़्ज़ाजत कुछ यू मांगी उनसे हमने हाले जुबां बयां करके...... उनके ही लिखे अल्फज़ो को.. लगा उनको कुछ यु . लगा उनको कुछ यु ...सयद ! हम गुफ्तगू करना चाहते थे उनसे.. उनके लिखे अल्फज़ो के सहारे से..... गुजारिस यू की कुछ इस नादा दिल ने ............. खामोश रही जुबां से .... Written by Sumit Sharma Maithil written by Sumit # Guzaris