ये भी करिश्मा देख उसका... तेरी ईद और मेरी एकादशी साथ हैं, *Deewali* मे *अली* और *Ramzan* मे *राम* साथ हैं! जब उसने ही भेद नही किया हमें बनाने मे, तो बंदे क्या बुराई है इंसान बन के जीने मे। आज तूने कुछ हाय-तौबा मचाई है, फीकी ईद की सैवइयाँ , अध-पकी दिवाली की मिठाई हैं। सोच आखिर क्यों आफत है इंसान बन के जीने मे! *देव शयनी एकादशी* एवम् *ईद की समस्त लेखकों एवं साहित्य साधको को शुभकामनाएं* ©अभिषेक मिश्रा "अभि" #ईद_का_चाँद #सोनू_की_कलम_से #withyou_moon #अल्फाज़