#रंडी_मत_कहा_करो_साहिब चौदह करवट, पंद्रह बिस्तर, सोलह श्रृंगार, सत्रह उम्र, अट्ठरह बार, जिस्म तार तार, उन्नीस बीस लगा रहता है, जिस्म की बाज़ार, रंडी, वेश्या, रखैल, तवायफ़, और भी हज़ार, शब्दों के वार, घर है हमारा, लोग कोठा कहते हैं, सोना गाछी, जी. बी. रोड,मंडुआडीह, ग्रांट रोड, मीर गंज और भी अनगिनत, बदनाम गलियाँ हैं, जहाँ इज़्ज़तदार लोगों की कमीज़ें और पैंट टंगे होते हैं खूटियों पर, हम सोख लेती हैं सनक, हवस, गुस्सा, वहशीपन, पागलपन, मर्दाना ताक़तें, नीम हकीमों की गोलियाँ, गालियाँ शरीफों की, और भी बहुत सारे चमत्कार, हम सोख लेती हैं, हम बदनाम गलियों की कलियाँ हैं, पंखुड़ियां नोच लो, होंठ काट लो, बदन छिल दो,भूख मिटा लो, बस मुह पर रंडी मत कहा करो साहिब, पता नहीं क्यों बहुत तकलीफ़ होती है, सच........ एक social अपील ..