सावन की ठंडी हवायें.... प्रेम पत्र का गया जमाना,वाट्सएप तुमको मैं करती हूँ दिल की हर बातों को मंथनकर,दिल से मैं लिखती हूँ सता रही यादें तेरी , मन अकुला - सा जाता है सावन की ठंडी हवाओं से,तन-मन दहका-सा जाता है मूंद कर आँखों मैं जब तुमको निहारा करती हूँ सच कहती हूँ साजन मेरे और भी तड़पती रहती हूँ जब गरजे बादल घड़- घड़ मन घबरा सा जाता है सावन की ठंडी हवाओं से,तन मन दहका सा जाता है चले पुरवाई मध्यम - मध्यम मन मे तरंगे उमड़ती है स्पर्श करने को तुमको हौले-हौले,मुझमे उमंगे उभरती है पायल, चुड़ी, कंगन खन-खन कर बुला- सा जाता है सावन की ठंडी हवाओं से,तन-मन दहका-सा जाता है तुम सँग चुनर भी लिपटने को मचलती रहती है जीवन भर तेरे ही रंग में रंगने को ये करती रहती है समेट कर यादों को तेरी,नयनों में जल -सा भर जाता है सावन की ठंडी हवाओं से,तन-मन दहका-सा जाता है।। #अंजलीश्रीवास्तव #सावन #पोएट्री #झूला